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डिजिटल इकोनॉमी और ग्रामीण-शहरी भारत

ANKIT KA BLOG
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डिजिटल इकोनॉमी भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था को पार लगा सकती है। यह भारत की अर्थव्यवस्था की प्रमुख समस्याओं यथा कालाधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सकती है। इससे भारत में सामाजिक क्रांति की भी उम्मीद की जा सकती है। परंतु यह राह इतनी आसान भी नहीं है। भारत में समस्या यह है कि नीतियों के क्रियान्वयन पर चर्चा न करके नीतियों के प्रसारण पर जोर दिया जाता है, बिना आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराए नीतियां क्रियान्वयन के लिए कार्यपालिका के पास आ जाती हैं। साथ ही नीतियों से त्वरित परिणाम की अपेक्षा भी की जाती है।


digital india


डिजिटल भारत की नीति एक अत्यंत ही महत्वाकांक्षी नीति है। आधार से जोड़ने के कारण ये अधिक विश्वसनीय व लाभदायक बन गई है। परंतु ई इकोनॉमी के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचा अभी उपलब्ध नहीं है। आज भारत की साक्षरता दर मात्र 73% है। उसमें भी ग्रामीण साक्षरता मात्र 67.8 प्रतिशत है व शहरी जन साक्षरता मात्र 84.2% है। यह साक्षरता दर ही बताने के लिए पर्याप्त है की ई इकोनॉमी ग्रामीण व शहरी भारत के बीच की खाई बढ़ाएगी।


जब तक आदमी को ई इकोनॉमी पर कॉन्फिडेंस नहीं होगा, तब तक वह इसे क्यों अपनाएगा? यह कॉन्फिडेंस इकोनॉमी के प्रति जागरुकता बढ़ाने से आ सकती है। पर जिस देश में 27% लोग अपना नाम भी लिखने में सक्षम न हों, उस देश में इकोनॉमी के प्रति जागरुकता कैसे आएगी। निरक्षरों में भी ग्रामीण निरक्षरता अधिक है तथा ग्रामीण अन्य पूर्वाग्रहों से भी ग्रस्त रहते हैं। साथ ही डिजिटल इकोनॉमी के लिए आवश्यक आधारभूत संसाधनों की कमी से हमारे शहर ही जूझ रहे हैं, तो ग्रामीण इलाकों की बात ही क्या।


भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 68.84 प्रतिशत आज भी ग्रामीण इलाके में है, जहां इकोनॉमी के संसाधन पहुंचने में सालों लग जाएंगे। इस कारण देश की कोशिश 31.2 शहरी जनसंख्या गांव से काफी आगे निकल जाएगी, तो ई इकोनॉमी ग्रामीण एवं शहरी भारत के बीच का भेद न चाहते हुए भी बढ़ा देगी।


फिर भी इतनी महत्वपूर्ण योजना को नकारा नहीं जा सकता। सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए नीति निर्धारण करते हुए गांव का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नीतियां शहर से गांव की ओर न होकर, शहर और गांव दोनों जगह समान रूप से लागू की जाएं। भारत गांव में बसता है। गांव के विकास से ही ग्रामीण व शहरी भारत के मध्य का भेद खत्म किया जा सकता है। सरकार को युद्ध स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल इकोनॉमी के संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए। साथ ही लोगों में खास कर युवा वर्ग में ई इकोनॉमी के प्रति जागरुकता बढ़ानी चाहिए।

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