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आईएएस ऑफिसर सरकार का सबसे महत्वपूर्ण कार्य करता है , ये सरकार की नीतियों को जमीन पर क्रियान्वित करता है। यदि आईएएस अधिकारी निर्द्वन्द होकर अपने सभी शक्तियों का सदुपयोग करे तो वह अपने प्रशाशनिक क्षेत्र का कायाकल्प कर सकता है।ये सरकार का वो अंग है जो सीधे जनता और सरकार के सम्पर्क में रहता है, ये क्षेत्र की समस्या और सरकार की नीतियों और योजनाओ में समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकार को चाहिए कि अपनी नीतियों और योजनाओ के निर्माण में वरिष्ठ एवम अनुभवी आईएएस अधिकारियों का सहयोग ले, पार्टियों को भी कुशल एवं अनुभवी अफसरों को राजनीति में लाने के प्रयास करने चाहिए , क्योंकि इनका अनुभव बहुमूल्य होता है।
इतना बहुमूल्य संसाधन होते हुए भी हम आज प्रसाशन और योजनाओ के क्रियान्वयन में सबसे निचले पायदान पे खड़े है, हमारी योजनाएं कागजो पर ही बेहतर दिखती है , इसका कारण ये है कि हमने प्रसाशनिक सेवा ब्रिटिश भारत से उसी रूप में स्वीकार कर ली जिस रूप में उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था। वो संस्था जिसका निर्माण ही भारत पर शाशन और शोषण करने के लिए हुआ था आज भी अपना वही कार्य कर रही है। इसी लिए हमारे अधिकांश अफसर अपनी ही जनता का शोषण कर के अपनी बेहताशा सम्पत्ति बना लेते है। वो व्यवस्था जिसे ब्रिटेन ने 1950 में ही त्याग दिया था हम आज भी ढोये जा रहे है। तो प्रशानिक क्षेत्र में अंग्रेजो से पहले भी भारत का इतिहास रहा है भारत सरकार को इतिहास से सिखके प्रशाशन में आमूलचूल बदलाव करके इस पद के लाभ को बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए। आईएएस अधिकारी विकास का एजेंट हो सकता है परंतु है नही शायद नैतिकता और जवाबदेही के कमी के कारण।
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