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भारत जितनी तेजी से विकास कर रहा है, नवीन जनसमस्याएं भी उतनी ही तेजी से उभर रही हैं। ग्रामीण निवासियों और कम साक्षर तो बाद की बात है, पढ़े-लिखे व्यक्ति भी अपनी शिकायतों के लिए तहसील या थाना दिवस पर उपस्थित होने से घबराते हैं।
इसके कई कारण हैं जैसे अत्यधिक कागजी तामझाम, सही विभागों का पता न होना, सरकारी कामकाज के प्रक्रिया की सही जानकारी न होना, सरकारी कर्मचारियों का असहयोग का रवैया, अत्यधिक समय लेने वाली प्रक्रिया, थाना और तहसील दिवस का आयोजन छुट्टियों के दिन न किया जाना आदि।
मान लीजिये किसी ने इन बाधाओं से पार पाकर अपनी शिकायत दर्ज करवा भी दी, तो उस पर कार्रवाई की कोई गारन्टी नहीं है। मैं खुद भुक्तभोगी हूं, ऊपर के अधिकारियों से शिकायत करने के लिए फिर वही प्रक्रिया करनी पड़ती है और अक्सर शिकायतों का निस्तारण वहां भी नहीं हो पाता।
मेरा सुझाव ये है कि क्यों न एक अखिल भारतीय शिकायत पोर्टल का विकास किया जाए, जहां सामान्य साइबर कैफ़े, लोकवाणी केंद्रों व अन्य सरकारी गैर सरकारी संस्थानों से शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था हो. यहां सिर्फ शिकायत दर्ज की जाए और इस बात का निर्धारण सरकार करे कि ये किस विभाग से सम्बंधित है।
एक अद्वितीय पंजीकरण संख्या शिकायतकर्ता को दी जाए, उसकी पहचान गुप्त रखी जाए तथा शिकायत के निस्तारण की स्तिथि समय-समय पर अद्यतन की जाए। समाचार पत्रों को भी पोर्टल से सूचना उठाने की अनुमति हो। साथ ही संबंधित शिकायत के प्रति जवाबदेह अधिकारी या जनप्रतिनिधियों के नाम भी पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए। ऐसा करने से अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों में जवाबदेही बढ़ेगी और जनता की समस्याओं का समाधान भी त्वरित होगा। संबंधित विभाग में नवीन पद भी सृजित होंगे।
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